आपको लगता है कि बीमा बहुत महँगा होता है, या फिर ये फालतू की चीज है तो ये बताईये कि आप अगर रोज के दो पान खाते हैं या 2-4 सिगरेट पीते हैं या फिर 2-4 चाय पीते हैं, तो कम से कम रोज के 20 से 25 रूपये तो खर्च करते ही हैं। अगर ये शौक नहीं फरमाते तो कोई और शौक फरमाते होंगे जिसमें 20 से 25 रूपये तो रोज खर्च होता ही होंगे जैसे कि गुटखा, खैनी, शराब, भांग इत्यादि। तो आप भले ही ये सब चीजें बंद न करें, परंतु क्या आपको पता है कि रोज के इतने रूपये अगर आप साल भर खर्च करते हैं तो ये लगभग 7,500 रूपये होते हैं, और इतने में 50 लाख का बीमा आ जाता है। मुझे पता है कि कई लोगों का तो यह खर्चा 100 रूपयों से ज्यादा का भी होता है।
जरा सोचिये कि आप 20-25 रूपये अपने शौक पर खर्च कर सकते हैं परंतु यही 20-25 रूपये आप अपने परिवार, आपके अपने लोगों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिये नहीं खर्च कर पाते हैं। क्योंकि हमारी सोच ही ऐसी नहीं है, बस यह सोच लीजिये कि आप ये जो 20-25 रूपये खर्च अपने लिये कर रहे हैं वह अगर आप अपने परिवार के लिये खर्च करेंगे तो उनकी नजरों में आपको लिये इज्जत और बड़ जायेगी।
मुझे याद है कि मेरे एक मित्र जो मुझसे वरिष्ठ भी हैं, वे बस में सफर करते थे और मैं ऑटो में, तो वे कहते कि सप्ताह के आने जाने का ऑटो में जाने के खर्चे का हिसाब लगाओ और बस के खर्चे का हिसाब लगाओ, तो तुम्हें अपने आप ही पता चल जायेगा कि हम यही पैसा अपने परिवार के लिये या उनके साथ सप्ताहाँत में उन पर खर्च कर आनंदित हो सकते हैं, हम बहुत सी बातों में कटौती करते हैं, परंतु हम अपनी आदतों पर कटौती करने से बाज नहीं आते हैं। और उनकी इसी बात से हम बहुत प्रभावित हुए, और हम बस का उपयोग करने लगे और परिवार भी अचानक से आये इस प्रकार के आनंद से खुश रहने लगा।
हम कहते हैं कि टर्म इन्श्योरेन्स में पैसा वापिस नहीं मिलता और हमें यह उम्मीद भी है कि आप यह समझते होंगे कि आप जिस भी लत में यह 20-25 रूपये खर्च कर रहे हैं तो वहाँ से भी आपको पैसा वापिस नहीं मिलने वाला है। अगर यही पैसा सही जगह लगाया जाये याने कि बीमा खरीद लिया जाये तो आपकी असामयिक मृत्यु के क्षणों में आपका परिवार इस समाज में सिर उठाकर सम्मान के साथ जी पायेगा, बच्चे भी अपनी पढ़ाई पूरी कर पायेंगे। जिस प्रकार से जिंदगी अभी गुजार पा रहे हैं, तो कम से कम उस स्तर की जिंदगी आप अपने परिवार को दे पायेंगे। परिवार भी आपके इस निर्णय का स्वागत तभी कर पायेगा, जब वे इस प्रकार की किसी परिस्थिती में पड़ें। याद रखें कि बीमा हमेशा ही आपके अपनों की आर्थिक सुरक्षा के लिये है न कि किसी प्रकार के लाभ के लिये लिया जाता है।
जब भी बीमा लें तो टर्म इन्श्योरेन्स ही लें कोई भी एन्डोर्समेंट पॉलिसी या यूलिप पॉलिसी न लें, पैसा निवेश करने के लिये विशिष्ट निवेश करें जिसमें शेयर बाजार, म्यूचयल फंड या बैंक में सावधि जमा उत्पाद मुख्य हैं।
रस्तोगी जी बीमा कवर में अक्षर इतने बारीक़ होते हैं कोई भी बीमा कराने वाला बिना पढ़े ही हस्ताक्षर कर देता है और धोका खाते हैं
जी हाँ राजेश जी, बिल्कुल सही कहा आपने, और मैं एक बात और बता दूँ कि अगर कोई भी बीमा लेने वाला व्यक्ति उन सब नियमों को क्लिष्ट भाषा होने के कारण समझ भी नहीं सकता है और अगर समझ जायेगा तो यकीन मानिये वह बीमा नहीं लेगा। पर इस बारे में IRDA ने बहुत से कड़े कदम उठाये हैं और भी बहुत से नियम आ रहे हैं ग्राहक के हितों की रक्षा के लिये।
हमारे भारत देश के नियामकों ने बाकी के सारे विश्व से बहुत कड़े नियम बना रखे हैं।
कुछ टर्म इंश्योरेंस में हैल्थ सम्बन्धी भी कई ऍडऑन कवर होते हैं जैसे टर्मिनल इलनैस, कैंसर कवर आदि। क्या ये भी साथ में लेने चाहिये या अलग से हैल्थ इंश्योरेंस करना बेहतर है?
जितने भी एड ऑन होते हैं वे बहुत बेसिक चीजें कवर करते हैं, अगर आपको उस एड ऑन की सारी चाजें चाहियें तो बेहतर है कि आप अलग से ही लें।
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